Saturday, April 17, 2010

एक खतरनाक सपना

एक बेहतर दुनियां
सुखद भविष्य,
भरा-पूरा परिवार
छोटी सी चारदीवारी
स्त्री की मोहब्बत
और, पौरूष के सम्मान का सपना
तरोताजा कर देता है मन को
आरोह-अवरोह से भरे जीवन में
भर जाता है खुशियों का रंग
धूप से मुरझाए चेहरों पर
छलकने लगती है भावों की रंगत।

खतरनाक है चेहरी की ये रंगत
खतरनाक है फटे होटों से मुस्कुराना,
खाली जेब से, लोकतंत्र की ताबीर से
पुलिस के गुंडाराज से, बाबाओं के बिस्तर से
जाति के पिताओं से, समाज के ठेकेदारों से
सूरत से सीरत से, किस्मत के क्रूर मजाक से
जिंदगी के पड़ाव से, टूटती सांसों की धड़कन से
धक-धक की आवाज पर नृत्य करने का सपना
वाकई खतरनाक है...।

खतरनाक है अपने अंजाम से पहले
किसी और अंजाम की बात सोचना
मौत नहीं तोड़ती सपनों की इमारत को
तोड़ लेता है इंसान स्वयं
सपने की ताबीर को
खुद उजाड़ लेता है इंसान
अपना सुंदर आशियाना
अपने कथित भाइयों के साथ मिलकर ।।

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