इन सुनसान आंखों में
अब कौन आएगा ?
तेरे बाद मुझे रूलाने
अब कौन आएगा ?
जिंदगी के आखिरी पन्ने
कहीं कोरे न रह जाए
सूर्ख होती जिंदगी
या स्याह होती आत्मा के
पर कतरने
अब कौन आएगा?
तेरे बाद मुझे रूलाने
अब कौन आएगा ?
बुढ़ापे की दहलीज पर खड़ा
जवानी से दो-चार करता
रंगों का भेद देर से समझता
वाक्यों का मतलब शब्दों से तौलता
रूह की कंपकंपाहट से जिस्म हिचकोले लेता है
रंग, शब्द, जिस्म और रूह का भेद बताने
अब कौन आएगा ?
इन सुनसान आंखों में
अब कौन आएगा ?
तेरे बाद मुझे रूलाने
अब कौन आएगा ?
सूरज की पहली किरण से
चंद्रमा की आखिरी छांव तक
वक्त से लड़ता रहा
जीत हो या हार
हर जंग के लिए
मरसिया मैं पढ़ता रहा ।।
तेरे जाने के बाद
मुझे विजयतिलक लगाने
अब कौन आएगा ?
इन सुनसान आंखों में
अब कौन आएगा ?
तेरे बाद मुझे रूलाने
अब कौन आएगा ?
Sunday, April 18, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment